Saturday, 22 October 2011

pyar ka ahsas

Ø  जब भी में इस विषय पर कुछ लिखने का प्रयास करता हूँ तो ना जाने क्यों मेरे अन्दर का लेखक मुझसे कहता है की ठहर जाओ इस एहसास को अपने तक ही सीमित रखो लेकिन मुझे आज भी यही लगता है कि प्यार तो एक जरुरत बनकर रह गया है कहाँ गए वो एहसास, जज्बात कुछ नहीं पता और शायद उनके वापस आने की भी उम्मीद नहीं | प्यार तो मनोरंजन का साधन बन गया है किसीकी भावनाओं से खिलवाड़ करना किसीका अपनी ख़ुशी के लिए इस्तेमाल करना और दूसरों का जीवन बर्बाद करके अपने सपने संजोना |
Ø  प्रेमी - प्रेमिकाओं की तो बात छोड़िये भाई - बहन एक दूसरे के सगे नहीं रहे, बच्चे अपने माता - पिता पर बोझ लगने लगे रिश्ते - नाते तो रेशम की डोर की तरह नाजुक दहलीज़ पर आकर थम गए हैं | कोई अपने प्रेमी के लिए घर को छोड़ देता है तो कोई धन के मोह में अपनी ही औलाद का दुश्मन बन बैठता है, एक बार भी दिल नहीं पसीजता कि वो मेरी माँ है ! कैसे रहेगी मेरे बिना कौन है उसका मेरे सिवा उसने अपने बुढ़ापे के सहारे के लिए मुझे काबिल बनाया और आज में उसे ही छोड़ के जा रहा हूँ वो भी साल भर के प्यार के लिए, लेकिन नहीं में गलत हूँ ऐसा कोई नहीं सोचता उस वक़्त ना जाने क्यों अपने माँ - बाप भी उसे दुश्मन लगने लगते है और ऐसे कदम उठ जाते है जो शायद किसीके हित में नहीं |
Ø  आज किसीकी ख़ास गुजारिश पर मैंने इस विषय पर अपने विचार प्रकट किये है और आशा करता हूँ मेरा यह सहयोग शायद उसे जीने का ढंग सिखा दे | दोस्तों, कोई पाप नहीं मानता में प्यार या दोस्ती को, यह तो खुदा कि रहमत बरसती है और सभी इतने खुशकिस्मत नहीं होते जिन्हें प्यार नसीब हो शायद मैं भी नहीं लेकिन अगर आप पर वो रहमत बरसी है तो उस खुदा का शुक्रिया अदा कीजिये और अपनाइए उस प्यार को जो प्रेमी या प्रेमिकाओं के प्यार से काफी ऊपर है | प्यार दोबारा हो सकता है परिवार दोबारा नहीं मिल सकता उन्हें वो सब कुछ दो जो वो तुमसे चाहते है यह तुम्हारा फ़र्ज़ और उनका हक है क्योंकि उन्होंने अपना फ़र्ज़ पूरा कर दिया तुम्हे किसी लायक बनाकर, अब तुम्हारी बारी है सोचो और कुछ कर दिखाओ जिससे उन्हें जीने का नया आसरा मिल जाए....
Ø  नमस्ते, आज आपके और मेरे जैसे कई लोग ऐसे वक़्त से गुजर रहे हैं जो उनको दुःख का एहसास जताता है लेकिन हमें उसका दूसरा पहलु भी देखना चाहिए कि उस संघर्षमय जीवन से ही हम जीने का तरीका सीखते हैं अगर बिना परिश्रम के फल मिल जाए तो उसमे उतना आनंद नहीं जितना परिश्रम करने पर मिलता है I जीवन को हमेशा एक ही पहलु से मत देखिये अगर आपका जीवन बुरे वक़्त से प्रभावित हुआ भी है तो अच्छा वक़्त भी एक दिन खुशियाँ लाएगा ... लेकिन उसके लिए भी आपको धेर्य रखना पड़ेगा

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