सफलता चाहिए तो ध्यान रखें ये 7 बातें
अर्थ- 1. उद्योग, 2. संयम, 3. दक्षता, 4. सावधानी, 5.
धैर्य, 6. स्मृति और 7. सोच-विचार कर कार्यारम्भ करना– इन्हें उन्नति का
मूल मंत्र समझिए।
1. उद्योग यानी परिश्रम व प्रयास
किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिए लगातार परिश्रम व प्रयास करते रहना
जरूरी है। परिश्रम के अभाव में सफलता नहीं मिलती। कुछ लोग सफल होने के लिए
शार्ट कट अपनाते हैं। भविष्य में इन्हें अपनी गलती का अहसास होता है, लेकिन
तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। असल में सफलता के लिए संकल्प, कर्म के
साथ उद्यम यानी परिश्रम की भावना के तय पैमानों को अपनाए बिना कामयाबी की
मंजिल को छूना व उस पर कायम रहना मुश्किल हैi
2. संयम
सफलता के लिए संयम भी बहुत जरूरी है। देखने में आता है कि छोटी सी सफलता
मिलने पर ही लोग मन पर संयम नहीं रख पाते और बड़ी-बड़ी बातें करने लगते
हैं। इस उतावलेपन में वह अपना ही नुकसान कर बैठते हैं। इसलिए यदि आप सफलता
पाना चाहते हैं तो मन पर संयम रखना बहुत जरूरी है।
3. दक्षता
सफलता के लिए दक्षता यानी किसी भी काम में कुशलता होना बहुत जरूरी है। कुछ
लोग जल्दी सफलता पाने के लिए दक्षता के बिना ही प्रयास शुरू कर देते हैं।
परिणाम स्वरूप सफलता मिलना तो दूर वह लक्ष्य तक पहुंच ही नहीं पाते। अतः
सफलता पाने के लिए किसी भी कार्य या कला में महारत होना बहुत ही जरूरी है।
4. सावधानी
सफलता पाने की जिद में हम ये बात भूल ही जाते हैं कि हमें किन बातों को
नजरअंदाज करना है। यही सावधानी है। यदि हम सफलता पाने के मार्ग में
सावधानियों को देखेंगे तो आगे जाकर यही गलतियां हमारे रास्ते का कांटा बन
सकती हैं। अतः सफलता के मार्ग पर चलते हुए सावधानियों को भी ध्यान रखनी
चाहिए।
5. धैर्य
सफलता पाने के लिए मन में धैर्य भी होना चाहिए। जल्दबाजी में की गई आपकी एक
छोटी सी गलती आपका सपना तोड़ सकती है। तमाम कोशिशों के बाद भी मनचाहे
परिणाम न मिलने या अपेक्षा पूरा न होने पर लक्ष्य से न भटकें, न उसे छोड़ने
का विचार करें। बल्कि मजबूत संकल्प और दोगुनी मेहनत के साथ उसे पाने में
जुट जाएं।
6. स्मृति
स्मृति यानी याददाश्त। सफलता पाने के लिए स्मृति यानी याददाश्त का तेज होना
भी जरूरी है। ये गुण भी सभी लोगों में नहीं होता। आपका दिमाग जितना तेज
होगा, याददाश्त भी उतनी पैनी होगी।
7. सोच-विचार कर कार्यारम्भ करना
कोई भी काम शुरू करने से पहले उसके विषय में पूरी तरह से सोच-विचार अवश्य
करनी चाहिए। बिना सोच-विचार शुरू किए गए कार्य में सफलता मिलने में संदेह
रहता है या आगे जाकर परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
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