एच.आई.वी. शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता को कैसे कम करता है.
मानव शरीर के रक्त में मौजूद श्वेत रक्त कोशिकाएं, शरीर को संक्रमण तथा रोगों से लडने की शक्ति प्रदान करती है. एच.आई.वी. वायरस इन्हीं श्वेत रक्त कोशिकाओं, जिन्हें लिम्फोसाईट के नाम से भी जाना जाता है, को नष्ट करतीं हैं. रक्त में इन कोशिकाओं की संख्या हीं संक्रमण की स्थिती को निर्धारित करती है. जैसे -जैसे रक्त में लिम्फोसाईट कोशिकाओं की संख्या कम होती जाती है वैसे ही संक्रमण का प्रभाव दिखने लगता है.
एच. आई. वी. वायरस द्वारा रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति को कम करने के विभिन्न चरणः
1. शरीर के पूर्ण स्वस्थ रहने की अवस्था में श्वेत रक्त कोशिकाएं बाहरी संक्रमण से शरीर की रक्षा करती हैं.
2. एच.आई.वी.संक्रमण होने पर यह वायरस श्वेत रक्त कोशिकाओं को नष्ट कर, प्रतिरोधात्मक शक्ति को कम कर देता है.
3. एच.आई.वी. संक्रमण के कारण जितनी तेजी में श्वेत रक्त कोशिकाएं नष्ट होतीं हैं, उतनी हीं तेजी से शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति भी कम होते जाती है.
4. प्रतिरोधात्मक शक्ति कम होने से शरीर में बीमारियों से लडने की क्षमता कम हो जाती है और व्यक्ति अनेक प्रकार के अवसरवादी संक्रमण का शिकार होने लगता है. संक्रमण की इस अवस्था को एड्स की अवस्था भी कहते हैं.
मानव शरीर के रक्त में मौजूद श्वेत रक्त कोशिकाएं, शरीर को संक्रमण तथा रोगों से लडने की शक्ति प्रदान करती है. एच.आई.वी. वायरस इन्हीं श्वेत रक्त कोशिकाओं, जिन्हें लिम्फोसाईट के नाम से भी जाना जाता है, को नष्ट करतीं हैं. रक्त में इन कोशिकाओं की संख्या हीं संक्रमण की स्थिती को निर्धारित करती है. जैसे -जैसे रक्त में लिम्फोसाईट कोशिकाओं की संख्या कम होती जाती है वैसे ही संक्रमण का प्रभाव दिखने लगता है.
एच. आई. वी. वायरस द्वारा रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति को कम करने के विभिन्न चरणः
1. शरीर के पूर्ण स्वस्थ रहने की अवस्था में श्वेत रक्त कोशिकाएं बाहरी संक्रमण से शरीर की रक्षा करती हैं.
2. एच.आई.वी.संक्रमण होने पर यह वायरस श्वेत रक्त कोशिकाओं को नष्ट कर, प्रतिरोधात्मक शक्ति को कम कर देता है.
3. एच.आई.वी. संक्रमण के कारण जितनी तेजी में श्वेत रक्त कोशिकाएं नष्ट होतीं हैं, उतनी हीं तेजी से शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति भी कम होते जाती है.
4. प्रतिरोधात्मक शक्ति कम होने से शरीर में बीमारियों से लडने की क्षमता कम हो जाती है और व्यक्ति अनेक प्रकार के अवसरवादी संक्रमण का शिकार होने लगता है. संक्रमण की इस अवस्था को एड्स की अवस्था भी कहते हैं.
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