Monday, 15 April 2013

एच.आई.वी. की जांच एवं निदानः

एच.आई.वी. की जांच एवं निदानः
एच. आई. वी. परीक्षण के दो स्तर होते हैं - स्क्रीनिंग परीक्षण और पुष्टि परीक्षण
स्क्रीनिंग परीक्षण में जांच का परिणाम पोजिटिव जाने पर पुष्टि परीक्षण किया जाता है ताकि जांच में किसी तरह का दोष रह जाए जिससे व्यक्ति को शारीरिक मानसिक परेशानी का सामना करना पडे.
स्क्रीनिंग परीक्षणः
मान्य स्क्रीनिंग परीक्षण का नाम, एन्जाइम लिंक्ड ईम्यूनोसॉर्बेट एस्से (एलिसा) परीक्षण है जो शरीर में उपस्थित एच.आई.वी. के एन्टीबॉडीस को माप कर संक्रमण की उपस्थिति को दर्शाता है. इस परीक्षण को अपेक्षाकृत आसानी से किया जा सकता है तथा इसमें खर्च भी कम आता है. हलांकि, स्क्रीनिंग परीक्षण उतने स्पष्ट नहीं होते और कुछ मामलों में जांच परिणाम तब भी पॉजीटिव सकता है जबकि व्यक्ति संक्रमित हो. अतः स्क्रीनिंग परीक्षण का परिणाम तब तक नहीं दिया जाना चाहिए जब तक उसे पुष्टि परीक्षण द्वारा प्रमाणित कर दिया जाए.
पुष्टि परीक्षणः पुष्टि परीक्षण तब किया जाता है, जब स्क्रीनिंग परीक्षण का परिणाम पॉजिटिव होता है. यह एक महंगा और मेहनत वाली प्रक्रिया है पर इसमें गलत परिणाम लगभग न्यूनतम होतें हैं. सामान्यतः प्रयोग में लाई जाने वाली पुष्टि परीक्षण को "वेस्टर्न ब्लॉट" के नाम से जाना जाता है.
एच. आई. वी. परीक्षण परीणामों की गोपनीयता बनाए रखना काफी महत्वपूर्ण होता है क्योंकि किसी व्यक्ति के संक्रमण की स्थिति को सार्वजनिक करना केवल संबंधित व्यक्ति के लिए बल्कि उसके आस पास के लोगों जैसे परिवार के सदस्यों के लिए भी हानिकारक हो सकता है. सही जानकारी के अभाव में और समाज में प्रचलित दुर्भावना के कारण व्यक्ति और उसके परिवार को उपेक्षा और कलंक का सामना करना पड सकता है.

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